सावन के माह में हर सोमवार शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिये बड़ी संख्या
में भक्त मंदिरामें जाते हैं। अनेक
पाश्चात्य हिन्दी भाषी ही ज्ञानी इसका मजाक बनाते हैं। जानते हैं क्यों? इन लोगों को लगता है कि इनके प्रचार पर्दे और
पत्रों के लिये दर्शक या पाठक कम हो जाते हैं। मूर्ति पूजा या जलाभिषेक का मजाक
बनाने वाले भारतीय अध्यात्मिक दर्शन के बारे में नहीं जानते। खाते हिन्दी से हैं
पर माता अंग्रेजी को बताते हैं। पैंट पहनने वालों को सभी कुर्ते पायजामे और धोती
वाले गंवार नज़र आते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि मनुष्य के मन का खेल केवल भारतीय
अध्यात्मिक दर्शन में समझा जाता है। इसे अंग्रेजी भक्त कतई नहीं समझ सकते।ं
मूर्तियों में भगवान नहीं होता। शिवलिंग पर चढ़ा जल गंगा नहीं होता, यह भी सभी जानते है।
मगर जब मूर्ति के आगे कोई मत्थ ठेकता है तो वह अपने मन का शुद्धिकरण कर रहा होता
है। शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए उसे मन में गंगा जैसी पवित्रता बहने की अनूभूति होती
है। यही अनूभूति मन को दृढ़ और पवित्र
बनाती है। विश्व में धर्म के नाम पर अनेक विचाराधारायें प्रचलित हैं-यह अलग बात है
कि सभी को धर्म कहा जाता है जबकि हमारे यहां इसका आशय केवल आचरण, व्यवहार तथा कर्म से ही
लिया जाता है। इन विचाराधाराओं में भारतीय अध्यात्मिक विचाराधारा पर दृढ़ता पूर्वक
चलने वाले ही सबसे अधिक बुद्धिमान और परिश्रमी माने जाते हैं-आज पूरा विश्व भारतीय
साफ्टवेयर इंजीनियरों का लोहा मानता है जो कि इसका प्रमाण है।
इस विषय पर हमने कोई शोध तो नहीं किया योग तथा ज्ञान साधना के अभ्यास से
अनेक ऐसी अनुभूतियां हुईं हैं जो अध्यात्मिक विषय पर लिखते हुए हमें आनंद आता है।
निरंकार के उपासक होने के बावजूद मंदिरों में जाने पर भी आनंद मिलता है। मूल बात है मन की जिसे समझने वाले इस बात को
जानते हैं कि सांसरिक विषयों में निरंतर सक्रियता के बाद उससे कुछ समय के लिये-ध्यान
और पूजा जैसी क्रियाओं से- प्रथक होने पर एक आनंद की अनूभूति होती है। करो तो
जानो।
हर हर हर महादेव, जय शिव शंकर
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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