ब्लूचिस्तान टैग से अपने ही फेसबुक और ट्विटर से जाकर कुछ नया देखने की
ख्वाहिश हुई। यह पहला अनुभव था। कुछ दिन पहले तक हमने कभी किसी शब्द को पूंछ
नहीं लगायी थी। अब जाकर यह अनुभव हुआ कि
फेसबुक और ट्विटर से भी अपने ही शब्दों पर पूंछ लगाकर दूसरी जगह जाया जा सकता है।
बहरहाल ब्लूचिस्तान शब्द से की गयी खोज से यह पता चला कि वाकई वहां कोई पाकिस्तान
प्रेम जैसी कोई बात नहीं है। वहां के लोग आज भी अपना अपना स्वतंत्रता दिवस 11 अगस्त को मनाते
हैं। पाकिस्तान से एकता की बात तो दूर
वहां उसके प्रति नफरत का ऐसा भाव है जिससे खत्म नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं वहां के लोग भारत से अब भी समर्थन की अपेक्षा रखते हैं। पिछले
दिनों पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक लेखक तारिक फतह का साक्षात्कार भारतीय
प्रचार माध्यमों में देखा तब यह जानने की इच्छा हुई कि क्या वाकई पाकिस्तान एक
संगठित राष्ट्र है या हम ही भ्रम पाले हैं।
फेसबुक में एक जगह तो भारतीय अधिकारी के माध्यम से पाकिस्तान को मिली इस
चेतावनी का जिक्र भी था कि अगर फिर मुंबई जैसी घटना हुई तो पाकिस्तान ब्लूचिस्तान
से हाथ धो बैठेगा। फेसबुक पर पाकिस्तान के
विरुद्ध जो भावना है उसका भारत लाभ उठा सकता है।
बहरहाल तारिक फतह की बात को सही माने तो भारत 15 अगस्त अपने स्वतंत्रता
दिवस के अवसर पर ब्लूचिस्तान और सिंध को अलग देश में रूप में मान्यता देकर
पाकिस्तान को दबाव में डाले। एक बात तय रही कि पाकिस्तान से अब साठ साल से चल रहे
संबंधों पर पुनर्विचार कर उसकी वर्तमान रूप में मान्यता समाप्त करना जरूरी
है। पाकिस्तान में पंजाबी लाबी अन्य तीनो
प्रांतों के निवासियों के शोषण पर अपना उत्थान तो कर ही रही है वहां के निवासियों
के मानवाधिकारों का भी हनन कर रही है। हम
यह तो मानते हैं कि पाकिस्तान को बांटे बगैर हम अपने देश से अशांति के बादल नहीं
छांट सकते। तारिक फतह का यही मानना है कि पाकिस्तान को चार टुकड़ों में बांटने से
ही विश्व में शांति होगी।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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