पाकिस्तान इस समय भारत से सुरक्षा सलाहकारों की वार्ता से बचना चाहता
है। उसकी स्थिति कुछ इस तरह है जैसे अदालत
का समन मिलने से किसी ऐसे सभ्रांत नागरिक की होती है जिस पर किसी ने मामला दर्ज
किया हो-कभी कभी गवाह के रूप में अदालत का समन मिलने से भी लोग घबड़ा जाते
हैं। दोनों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक
एक तरह से एक अपराधी की पेशी किसी पुलिस अधिकारी के सामने उपस्थिति जैसी है। भारत के सुरक्षा सलाहकार पुलिस की भूमिका में
है और पाकिस्तान के दूत को उनके सामने अपराधी की तरह हाजिर होना पड़ रहा है। जिस तरह सामान्य व्यक्ति पुलिस या अदालत से
बचने के लिये कोई न कोई उपाय करता है वैसे ही पाकिस्तान सीमा पर हमले करने के साथ
ही अन्य उपाय भी कर रहा है। संभवतः उसे
आशंका है कि इस बातचीत में भारत कहीं उसे ऐसे सत्य न कहे जिससे बचा जाना
चाहिये। अभी तक उसे कड़े संदेश हमेशा
मीडिया में मिले हैं पर इस बार उसे आशंका है कि भारत में बदलाव होने से कहीं ऐसा न हो जाये कि औपचारिक या आधिकारिक रूप
से कड़ी बात सुनने को मिले और उसके अनुरूप काम
करना पड़े। जब तक नहीं मिले हैं तब तक टालमटोल ही ठीक है। सभ्रांत आदमी का नियम होता है कि वह बिना
चेतावनी के कार्यवाही नहीं करता। अगर वह
ऐसा करता है तो दुनियां उसे ताने देती है। पाकिस्तान को लगता है कि सभ्रांत भारत
को चेतावनी देने का अवसर ही नहीं दिया जाये ताकि वह ऐसे कार्यवाही करे तो पूरा
विश्व उसकी निंदा करे।
पाकिस्तान भारत से बातचीत कराने में इसलिये कतरा रहा है क्योंकि उसे लगता
है कि उफा में समझौते के बाद वह कश्मीर मामला नहीं उठा सकेगा। पाकिस्तान अपना दूत
भेजने इसेलिये भी डर रहा है क्योंकि उसे आशंका है कि यह बातचीत बेनतीजा रही तो
परिणाम खतरनाक होंगे। हमारा विचार है
कि यह बातचीत होना चाहिये। भारत पाक
सुरक्षा सलाहकारों की बातचीत होने पर इस बार धमकाने और समझाने का सही अवसर मिल
सकता है। भारत के सुरक्षासलाहकार डाभोल के समकक्ष पाकिस्तानी सरताज अजीज अत्यंत
बौने हैं और यह भय वहां की सेना को सता रहा है। पाकिस्तान को इस बात में भारत बता
सकता है कि ब्लूचिस्तान में खुलकर उसके विरुद्ध बिगुल बजाया जा सकता है। इसलिये
पाकिस्तान के बातचीत करने के परंपरागत ढंग से हो रहे कुत्सित प्रयासों की परवाह
किये बिना भारतीय रणनीतिकारों को अपने प्रयास करना ही चाहिये। मौका मिले तो चार
हिस्सों में अनौपचारिक रूप से विभाजित पाकिस्तान पर-पंजाब, सिंध, ब्लूचिस्तार और
पख्तूनिस्तान-अपनी मोहर लगा ही देना चाहिये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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