गुजरात में जिस तरह एकदम सामूहिक हिंसा हुई उससे लगता है कि कुछ लोग इसके
लिये तैयार बैठे थे। इस हिंसा के लिये किसी खास समुदाय पर आक्षेप करना ठीक नहीं
लगता। अगर प्रचार माध्यमों तथा समाचार पत्रों की बात माने तो वहां तमाम वर्ग के
लोग इस हिंसा में शामिल रहे हैं। गोधरा
में रेल यात्रियों की हत्या के बाद हुई
हिंसा में भी सभी धर्मों के लोगों पर हमले हुए थे पर यह अलग बात है कि एक विशेष
धर्म के लोगों के शिकार होने की अधिक चर्चा होती रहीं। आमतौर से गुजरात में बारह
तेरह वर्ष पूर्व में सांप्रदायिक दंगे होना आम बात थी पर बाद में वह थम गयी। हमारे विचार से कुछ असामाजिक तत्व वहां अपनी
हिंसा और लूटपाट का अपना पुराना सपना पूरा करने के लिये लंबे समय से इंतजार में
थे। इसलिये वहां के जिम्मेदार नेताओं को
अपने आंदोलन चलाते समय इसपर ध्यान देना चाहिये।
यहां यह भी बता दें कि एक खास समुदाय के सहारे पूरे देश की चुनावी राजनीति
में छा जाने की संभावना नहीं रहती।
वैसे हमारा मानना है कि सरकारी सेवाओं में व्यक्तिगत योग्यता के साथ ही
प्रबंध कौशल की कला में शामिल लोगों को ही उच्च पदों पर नियुक्त करना चाहिये। देश के विकास के लिये यह आवश्यक है कि सरकारी
सेवायें व्यवसायिक ढंग से काम करें और बिना योग्यता और कौशल यह संभव नहीं है। हम
यह देख रहे हैं कि सरकारी कार्य में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है पर वहां
आरक्षण का नियम काम नहंी करता। जब हम
राजकीय प्रबंध में निजी क्षेत्र की भागीदारी का सिद्धांत मान रहे हैं तो राजकीय
सेवाओं में निजी योग्यता और प्रबंध कौशल की आवश्यकता खारिज नहीं किया जा सकता।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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