जिस तरह यह संसार परमात्मा के संकल्प के आधार स्थित है
वैसे ही हमारे हृदय और मस्तिष्क के संकल्प
के अनुसार ही हमारा जीवन चलता है। अगर हम दूसरे के कार्य में विघ्न आने की संभावना
आने पर खुश होते हैं तो यह तय मानिये कि
कि हमारे काम में विघ्न आयेंगे हालांकि तब हमारे अंदर यह विचार नहीं आता कि
हमारे किस संकल्प के कारण यह हुआ?
हमें अपने अंदर स्थित समस्त इंद्रियों में पवित्रता का
संकल्प स्थापित करना ही चाहिये। ऐसा नहीं
हो सकता कि हम मन में घृणा रखें और वाणी में मीठे शब्द विष की तरह उपयोग करें। हम
अपने कर्ण से अच्छे स्वर सुनना चाहें पर मन के वश ऐसे स्थानों पर जायें जहां दृश्य
तो अनूकूल हो पर स्वर विपरीत मिलें। वहां चक्षु और वाणी का सुख तो मिले पर कर्णों
को अप्रिय स्वर घेर लें। कहने का अभिप्राय
यह है कि हमें पवित्रता, शुद्धता
और सहजता के भाव को पहले अपने मूल स्थान पर स्थापित करें। इससे हमारा संकल्प
सौंद्रर्य भाव में स्थित हो जायेगा तो जीवन के धारा भी उसी में प्रवाहित होगी।
समय समय पर
आत्ममंथन करें कि कहीं हमारे अंदर किसी के
प्रति विद्वेष या घृणा का भाव तो नहीं आ रहा? हम दूसरों के अनिष्ट पर प्रसन्न तो नहीं हो रहे?
हम दूसरो के गुणों की बजाय उसमें दोषों
पर तो ध्यान नहीं दे रहे?
नकारात्मक विचारों से हमें दूर रहने का अभ्यास इस तरह
करना चाहिये कि कभी किसी के लिये विद्वेष, घृणा या निंदा का भाव नहीं आये। हमें दूसरों की उन्नति, उत्थान और सुख की कल्पना करना चाहिये। हम
अकेले इस संसार का भाग नहीं होते। इतना ही नहीं हम जिन सुविधाओं का उपयोग करते हैं
वह भी समूह में मिलती हैं। सूर्य की उष्मा, चंद्रमा की शीतलता और बादलों का अमृत सभी के लिये
बरसता है। हम किसी दूसरे के खेत पर अकाल या बाढ़ की कामना नहीं कर सकते क्योंकि
प्रकृति ने हमें समूह में बांधा है। हम
पड़ौसी के घर पर संकट की कामना नहीं कर सकते क्योंकि वह हमसे भी जुड़ा है। इसलिये
हमें सर्वजन हिताय संकल्प रखन चाहिये। यही जीवन का अंतिम सत्य है। इसे हम
तत्वज्ञान भी कह सकते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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