इस भौतिकवादी युग ने लोगों को अंधा कर दिया है। वह अपनी संपत्ति संचय के लिये अनेक लोग किसी भी हद तक चले जाते हैं। वह यह नहीं सोचते कि कालांतर में न केवल समाज बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ियों को भी हानि होगी। हम देख रहे हैं कि देश के अनेक धनपति लोग अपने ही देश से कमाकर विदेशों में भेज रहे हैं तो अनेक उच्च पदस्थ लोग भ्रष्टाचार में लिप्त होकर देश की व्यवस्था को छिन्न भिन्न कर देते हैं। ऐसे लोग अपने परिवार की वर्तमान पीढ़ी का ही विचार करते हैं। उनको यह ज्ञान नहीं है कि समय एक जैसा कभी नहीं रहता और लक्ष्मी अत्यंत चंचल है और एक दिन उनके परिवार का पतन होना ही है और अंततः उनकी भावी पीढ़ी को भी बिगड़ी व्यवस्था के दुष्परिणाम भोगने होंगे। इसके बावजूद वह समाज का आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक शोषण करने के लिये किसी भी हद तक चले जाते हैं चाहे भले ही भविष्य में वह सब स्त्रोत सूख जायें जिससे वह धन कमा रहे हैं।
यह अनैतिकता इस हद तक हो गयी है कि लोग अपने पद के अभिमान के साथ ही धर्म को भी बेच देते हैं। अपनी सात पीढ़ियों के लिये कमाने वाले लोग यह विचार नहीं करते कि जब यह भी तय है कि उनकी भावी पीढ़ी तक उनकी संपत्ति पहुंचेगी कि नहीं। संचय की प्रवृत्ति नें लोगों को हिंसक और दृष्ट प्रवृत्ति बना दिया है।
ऋग्वेद में कहा गया है कि
---------------------------------
दुराध्यो अदिति स्त्रेवयन्तोऽचेतसो विजगृभे परुणीम्।।
‘‘दुष्ट बुद्धि वाले मूढ़ लोग अन्नदायी परुष्णी नदी के तट को तोड़ते रहे।
दुष्ट व्यक्ति मूर्ख भी होते हैं और सदैव विनाश के लिये प्रयत्नशील रहते हुए सभी के हित में आने वाली वस्तुओं को नष्ट करते हैं।
‘‘दुष्ट बुद्धि वाले मूढ़ लोग अन्नदायी परुष्णी नदी के तट को तोड़ते रहे।
दुष्ट व्यक्ति मूर्ख भी होते हैं और सदैव विनाश के लिये प्रयत्नशील रहते हुए सभी के हित में आने वाली वस्तुओं को नष्ट करते हैं।
ऐसे दुष्ट, हिंसक और मूर्ख लोग समाज की बजाय अपने स्वार्थ को ही सर्वोपरि मानते हैं। अनेक लोग अंततः वह समाज के विद्रोह का शिकार भी हो जाते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि धनवान को दानी भी होना चाहिए। यह दान पुण्य देने के साथ ही सुरक्षा देता है। उसी तरह बड़े आदमी को उदार तथा सदाचारी होना चाहिए। ऐसा होने पर उसके विराट व्यक्तित्व की रक्षा होती है। सदाचार और उदारता एक तरह किले की दीवार है जिसमें आदमी आराम से रह सकता है।
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका
६.अमृत सन्देश पत्रिका
No comments:
Post a Comment