अनुपमखेर के नेतृत्व में देश की प्रतिष्ठा खराब करने वालों के प्रतिकूल किये गये प्रदर्शन को सहिष्णुता मार्च कहना चाहिये।
अनुपमखेर में नेतृत्व में निकलने वाले ‘भारत के लिये मार्च’ पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए उनकी प्रशंसा करना चाहिये। अब यह सवाल तो पूछा
ही जायेगा कि एक अभिनेता को देश में असहिष्णु माहौल कैसे दिखेगा जबकि दूसरा उसे नकार
रहा है। देश के ‘असहिष्णु माहौल’ के प्रचार का उत्तर ‘भारत के लिये मार्च’ से दिया जाना इस बात का प्रमाण है कि देश लोकतांत्रिक रूप से सहिष्णु व परिपक्व
है। असहिष्णु वातावरण के प्रचार का भारत के लिये मार्च से जवाब! अनुपम खेरजी की बौद्धिक
योजना का जवाब नहीं! इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के लिये मार्च में एकत्रित भीड़
ने भारत की सहिष्णुता की मर्यादित सीमा भी बता दी है। समस्या यह है कि प्रगतिशील और
जनवादी शैली की रचनाओं को राज्य प्रबंध से समर्थन नहीं मिलने वाला। यह कुछ रचनाकार
सहन नहीं कर पा रहे।
अनुपमखेर के नेतृत्व में बुद्धिजीवियों के
सहिष्णुता मार्च से भारत की अंतर्राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा बढ़ती है तो अच्छी
बात होगी। अनुपम मार्च से एक बात तय हो गयी
कि बौद्धिक दृष्टि से भी सुविधानुसार घटनाओं पर राय कायम की जा सकती है। आपकीबात अनुपम
मार्च यह ट्विटर दिखाई दिया।
भारत में सहिष्णुता के प्रश्न उठाकर कथित बुद्धिमानों ने प्रचार में नाम जरूर
पाया पर उनकी छवि देशविरोधी बन रही है। अब तो यह सवाल दिमाग में आता है कि सहिष्णुता
का मसला उठाने के पीछे असली वजह क्या है? पर्दे के पीछे का राज बाहर आना चाहिये। आप जोर से चिल्लायें तो यह अभिव्यक्ति
का अधिकार है, पर लोग सुनने से इंकार कर दें तो मानना पड़ेगा कि समाज सहिष्णु है। आप चिल्लाकर
बोलें यह अभिव्यक्ति का अधिकार है, उसे कोई न सुने यह यह समाज की असहिष्णुता का प्रमाण नहीं हो सकता। समाज में
जागरुकता बढ़ी पर चेतना कम हुई है अब कोई कहे तो कहता रहे कि असहिष्णुता बढ़ी है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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