Tuesday, July 14, 2015

क्रिकेट के काले पन्नों पर न्याय की मुहर लगी-हिन्दी चिंत्तन लेख(cricket ke kala panno par nyay ki muhar lagi-hindi thoght article)


                             प्रचार माध्यमों के अनुसार न्यायाधीश मुदगल की क्रिकेट के संबंध में जारी रिपोर्ट से नये क्रिकेट प्रेमियों को चौंका सकती है पर पुराने लोग जानते हैं कि इस खेल की आड़ में बहुत सारे काले कारनामे चलते रहे हैं। स्थिति यह है कि हम तो भारत की क्रिकेट टीम को देश की बजाय भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानि बीसीसीआई की टीम मानते हैं।  अनेक बार अपने व्यंग्यों में यह बात लिख चुके हैं कि जीती तो हमारी टीम हारी तो बीसीसीआई मानते हैं। हम जैसे दर्शक देश के प्रति संवेदनशील होने के कारण बीसीसीआई टीम के जीतने पर प्रसन्न होते थे हारती थी तो मन उदास हो जाता था।
                              करीब बारह वर्ष पूर्व जब पहली बार इसमें सट्टेबाजी की बात सामने आयी तब दुःख जरूर हुआ पर हैरानी नहीं हुई। हमने देखा था कि अनेक मैच देश के नाम से खेल रही टीम जीतते हुए हार जाती थी।  उसके बाद मन ऐसा टूटा कि फिर कभी क्रिकेट को कभी देशप्रेम से नहीं जोड़ा।  फिर भी कभी कभी देख ही लेते हैं। अभी हाल ही में विश्व कप प्रतियोगिता आस्ट्रेलिया में हुई थी।  अंतर्जाल पर कुछ लोगों ने स्पष्ट कह दिया था कि यह टीम सेमीफायनल से आगे नहीं जायेगी।   बीसीसीआई की टीम सेमीफायनल तक ठीकठाक चली।  जिस दिन सेमीफायनल था उस दिन भारत के हिन्दी टीवी चैनल ने संकेत दिया कि सट्टेबाजों की फायनल में जगह बनाने वाली टीमों में बीसीसीआई पंसदीदा नहीं है। हमारा दिल बैठ गया।  मैच देखने फिर भी बैठे रहे। एक समय लगा कि बीसीसीआई की टीम सट्टेबाजों की पंसद तोड़कर रहेगी।  फिर लड़खड़ाई और फिर डटकर खेलती दिखी। अंततः ऐसी लड़खड़ाई कि हार ही गयी।  यह जरूर कहा जाता है कि भारत के समाचार टीवी चैनल क्रिकेट से कमाते हैं इसलिये इसमें हो रही काली करतूतों को छिपाते हैं पर उनकी इस बात की प्रशंसा करना चाहिये कि अप्रत्यक्ष रूप से सच कह भी देते हैं। यही कारण है कि हमारा मन इतना कड़ा था कि जैसे ही बीसीसीआई की टीम को हार की तरफ बढ़ते देखा टीवी में चैनल बदल दिया।  उस दिन कोई समाचार चैनल न देखकर टीम की हार के विश्लेषण देखने से बचते रहे। इस बात का अफसोस था कि काहे फिर क्रिकेट से दिल लगाया था।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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