हमारे देश में राजपद पाने की लालसा अनेक
लोग राजनीति में सक्रिय करते हैं। जिनके
पास पैसा, प्रतिष्ठा और पराक्रम है वह आधुनिक
लोकतंत्र में पद पाकर समाज में अपना प्रभाव बढ़ने को उत्सुक रहते हैं। यह पद की चाहत अपने मन में पूज्यता का भाव शांत
करने के लिये पैदा होती है। सच बात तो यह है कि राजपद पाना हमारे देश में एक
उपलब्धि तो माना जाता है पर उसके साथ जो दायित्व हैं उन पर किसी की दृष्टि नहीं
जाती। किसी भी राज्य का प्रबंध सहज नहीं
होता उस पर भारत जैसे विशाल तथा विविधताओं वाले देश में तो सुशासन बनाय रखना एक
बड़ी चुनौती होती है पर कभी यह नहीं लगता कि राजपद की कामना रखने अनेक लोगों को
इसका आभास होता है।
कविवर रहीम कहते हैं कि
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रहिमन राज सराहिए, ससि सम सुखद जो होय।
कहा बापुरो भानु है, तपै तरैयन खोय।।
हिन्दी में भावार्थ-वही राज्य सराहनीय है जिसमें सभी लोग वर्ग
के लोग खुश रहें। जहां सभी को आगे बढ़ने का अवसर मिले और जहां सभी को अपने काम काम
पूरा दाम मिले वही राज्य सुशासित कहलाता है।
राज्य प्रमुख का यह कर्तव्य रहता है कि वह
अपने अंतर्गत रहने वाले विभिन्न वर्ग,
वर्ण तथा विचार वाले लोगों की रक्षा
करे। सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिले।
हम देख रहे हैं भारत में आधुनिक लोकतंत्र प्रणाली होने के बावजूद वैसी अपेक्षायें
पूरी नहीं हो सकीं जैसी अपेक्षा की गयी थी।
देखा यह गया कि इस लोकतंत्र की आड़ में वैसी राजशाही, वंशवाद
तथा वणिक वृत्ति राज्यकर्म में व्याप्त हो गयी है जैसे पहले हुआ करती थी। हालांकि अभी हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव के
परिणामों में आम लोगों ने यह जता दिया है कि वह देश में एक सच्चा लोकतंत्र चाहते
हैं। इन चुनाव परिणामों से यही संदेश मिला
है कि लोग इस देश में राज्य से अपने विकास तथा रक्षा की अपेक्षा करते हैं। वह छोटी छोटी बातों से बहलने वाले नहीं है। न
ही कथित नारे उनको प्रभावित कर सकते हैं।
यह अलग बात है कि इस संदेश को
राजपद पाने का मोह रखने वाले लोग कितना समझ पाते हैं।
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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