2. जो राज्य प्रमुख मनुष्यों अपने प्रति विश्वास उत्पन्न करने का तरीका जानता है और जो किसी अपराधी के अपराध का प्रमाण मिल जाने पर उनको दंड देता है उसके पास अपार धन संपदा चली आती है। राज्य प्रमुख को कम या दंड अधिक मात्रा में दंड देने के साथ ही क्षमा करना भी आना चाहिये।
3.जो व्यक्ति किसी कमजोर का अपमान नहीं करता, सदा सावधान रहकर अपने विरोधी और शत्रु के साथ बुद्धिमानी से व्यवहार करता है, ताकतवर के साथ संघर्ष नहीं करता तथा समय आने पर पराक्रम दिखाता है वह धीर पुरुष कहलाता है।
4.संकट आने पर जो व्यक्ति दुःखी नहीं होता बल्कि सावधानी पूर्वक अपना स्वाभाविक कर्म करता है वही महापुरुष है जो तमाम तरह की विपत्तियों को सहते हुए अपने विरोधियों और प्रतिकूल स्थितियों पर विजय पा लेता है।
5.जो कभी उद्दण्डता करते हुए कोई वेश नहीं बनाता, दूसरों के सामने डींग नहीं हांकता,क्रोध से व्याकुल होने पर भी कठोर या कटु वचन नहीं कहता वह मनुष्य सदा ही सभी को प्रिय होता है।
6.जो शांत हो चुके वैर को पुनः जागृत नहीं करता, कभी अहंकार में वचन नहीं कहता, कहीं हीनता का प्रदर्शन नहीं करता तथा किसी प्रकार की विपत्ति में पड़े होने का भाव लेकर भी कोई अनुचित काम नहीं करता तथा उत्तम साधनों से आय अर्जित करने वाले पुरुष को सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है। ------------------
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
बहुत ही सुंदर लिखा है....इतनी सुंदर बातें के लिए आभार
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