- दुष्ट पुरुषों का बल हिंसा, राजाओं का बल दंड देना, स्त्रियों का बल सेवा और गुणवानोंका बल है क्षमा कर देना।
- वाणी का पूर्ण संयम तो बहुत कठिन माना ही गया है, परन्तु सार्थक तथा दूसरे आदमी को प्रभावित कर सके ऐसी आकर्षक वाणी बोलना भी कम कठिन नहीं है।
- मधुर शब्दों से युक्त बात अनेक प्रकार से लाभदायक होती है किन्तु कटु वाणी तो महान अनर्थकारी होती है और उससे तो हर हाल में बचना चाहिए।
- शरीर में घुसे बाण तो निकाले जा सकते हैं परन्तु कटु शब्द अगर किसी के मन में घर कर जाएं तो उसे निकालना कठिन होता है।
- जिसने स्वयं अपने आत्मा को ही जीत लिया है, वही उसका बंधू बन जाता है। आत्मा ही सच्चा बंधू है और वही नियत शत्रु भी है।
- जो धर्म और अर्थ का परित्याग कर अपनी इन्द्रियों के वश में हो जाता है वह जल्द ही अपने ऐश्वर्य, प्राण, धन-संपदा और स्त्री से वंचित हो जाता है।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
1 comment:
जानकारी महत्वपूर्ण है , क्रम बनाए रखें !
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