1.किसी प्यासे को पानी पिलाने से स्वयं को भी तृप्ति मिलती है। इसी प्रकार अन्न का दानकरने पर दीर्घकाल का सुख, तिल का दान करने वाले को प्रिय संतान, दीपक का दान करने से उत्तम दृष्टि, भूमि का दान करने वाले को धरती, सोने का दान करने वाले को दीर्घायु , मकान दान करने वाले को महल और चांदी दान करने वाले को सुन्दर रूप की प्राप्ति होती है।
2.जल, अन्न, गाय, भूमि, वस्त्र तिल, सोना, और घी आदि समस्त दानों में विद्या और ज्ञान का दान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
3.दान देने वाला जिस भाव से दान देता है उसी भाव से उसका फल भी उसे प्राप्त होता है।
4.जो व्यक्ति सम्मान के साथ दान देता है और लेने वाला भी उसी तरह लेता है तो उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है और श्रद्धा से रहित होकर दान देने और लेने वाला नरक में जाते हैं।
5.यदि दान मांगने वाला दान का उचित पात्र न लगता हो फिर भी उसे श्रद्धा के साथ दान देना चाहिए क्योंकि अगर दान देने की प्रवृति बनी रहती है तो कभी तो दान लेने वला योग्य पात्र मिल ही जायेगा जो दादा का उद्धार कर देगा।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
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3 years ago
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