रहिमन रहिला की भली, जो परसै चित लाय
परसत मन मैलो करे, सो मैदा जरि जाय
कविवर रहीम कहते हैं कि बेसन का आटा हितकर है क्योंकि उसको प्रेम से शरीर पर मला जाता है जबकि जो तन और मन को गंदा करता है उस मैदा का नष्ट होना ही अच्छा है।
भावार्थ- जिस प्रकार के आचरण, विचार और कार्य से हमारा स्वयं का मन शुद्ध होता हो, दूसरे का उपकार होता है और लोगों की बीच अच्छी छवि बनती है वह अच्छा है और उसी तरफ अपनी दृष्टि रखनी चाहिऐ। हमें मन में ऐसा कोई विचार नहीं लाना चाहिए जिससे अपने या दूसरे के प्रति वितृष्णा का भाव पैदा होता हो। अपने आचरण और कार्य से किसी को हानि पहुँचती है तो उसको नहीं करना चाहिऐ। बुरे विचार को नष्ट कर देना चाहिऐ।
जबकि आजकल हम देख रहे हैं कि किसी को अपमानित कर लोग अपने को सम्मानित समझते हैं और दूसरे को हानि पहुंचाने में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं और इतना ही नहीं अपने बच्चो को भी ऐसे संस्कार भरते हैं जो बाद में उनके लिए ही भयावह सिद्ध होते हैं। जो अपने कुकर्मों और बाहुबल से प्रभाव बनाते हैं लोग उनको सम्मान देते हैं और उनके प्रति आदर भाव व्यक्त करते हैं। जबकि उनकी तरफ से मुहँ फेर लेना चाहिऐ। बुरा व्यक्ति, आचरण, विचार और सामान त्याग देना चाहिऐ।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
3 comments:
सही है.
प्यारे भाई, मुझे तो इस दोहे का कुछ अलग ही अर्थ पता है, जो इस प्रकार है- 'चने की रोटी भी अगर दिल से परसी जाए तो अच्छी है, बनिस्बत मैदे के बने उस पकवान के, जिसे किसी ने मैले मन से परोस दिया हो!'
चन्द्र भूषण जी
आपका ब्लोग देखा बहुत अच्छा लगा. आपका ईमेल नहीं मिल रहा था इसलिए आपके ब्लोग पर लिख रहा हूँ. आपने रहीम के दोहे पर अपने कमेन्ट दी थी उसके संबंध में मेरा निवेदन है की अगर हम शाब्दिक अर्थ की बात कर रहे हैं तो मैंने इसे किताब से लिया है, और भावार्थ भी वैसा ही था हाँ मैंने थोडा उसे विस्तार दिया है. आखिर मुझे इसके लिए किसी किताब की मदद तो लेनी ही है. हो सकता हैं मुझसे गलती हुई हो, पर मेरा उद्देश्य ज्ञान बघारना नहीं होता बल्कि स्वाध्याय होता है. हाँ एक बात मैंने सुनी हैं की बेसन पेट के लिए हानिकारक नहीं होता जबकि मैदा होता है. फिर भी कहीं कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ. आप जैसे विद्वान् से मिलना हो तो यह भाग्य ही होता है
दीपक भारतदीप
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