tag:blogger.com,1999:blog-3745339968896356639.post6138635296805799858..comments2023-04-08T17:41:46.022+05:30Comments on दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका: संत कबीरदास की वाणी-तेरा प्रीतम और बैरी तेरे अंदर ही है (kabir ke dohe-tera pritam aur dushman andar hai)दीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/14727354455089892030noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3745339968896356639.post-74276431477974532582009-04-09T10:07:00.000+05:302009-04-09T10:07:00.000+05:30आजकल जो लोग धर्म और परमात्मा के नाम पर एक दूसरे का...आजकल जो लोग धर्म और परमात्मा के नाम पर एक दूसरे का खून बहा रहे हैं उनके लिये कबीर का यह संदेश सारी पोल खोल रहा है। कितनी हैरत की बात है कि एक फकीर सैकड़ों साल पहले इतनी गूढ़ बात इतनी आसानी से कह गया, और वही बात हम लोग इतने सालों की "तरक्की" और "आज़ादी" के बाद भी नहीं समझ पाये। इन दो लाइनों को आज ही फुलस्केप कागज पर छापकर अपने मेज़ के सामने चिपका रहा हूँ। धन्यवाद!Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3745339968896356639.post-21712172263142635402009-04-09T09:47:00.000+05:302009-04-09T09:47:00.000+05:30bahut gyanvardhak lekh hai dhanyvaadbahut gyanvardhak lekh hai dhanyvaadनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com