Monday, January 26, 2009

भर्तृहरि शतकः सज्जन पुरुष लोकनिंदा से डरते हैं

वांछा सज्जनंगमे परगुणे प्रीतिर्गुरो नम्रता विद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद्भयम्
भक्तिः शूलिनि शक्तिरात्मदमने संसर्गमुक्तिः खले येष्वते निवसन्ति निर्मलगुणास्तेभ्यो नरेभ्यो नमः

हिंदी में भावार्थ- अच्छे लोगों से मित्रता का की कामना, गुरुजनों के प्रति नम्रता, विद्या और ज्ञान प्राप्ति में रुचि, स्त्री से प्रेम, लोकनिंदा से डर,भगवान शिव की भक्ति,अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण और दुष्ट लोगों की संगत का त्याग-यह सभी गुण सज्जन पुरुषों के प्रमाण है। ऐसे सज्जनों को प्रणाम।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-आधुनिक युग में लोगों का न केवल नैतिक पतन हुआ है बल्कि उनके विचार करने की शक्ति का भी हृास हुआ है। सज्जन पुरुषों से मित्रता की बजाय लोग दादा टाईप लोगों के साथ मित्रता इस आशा से करते हैं कि वह भविष्य में उनको सुरक्षा प्रदान करेंगे। शांति से साधना करने वाले गुरुओं की बजाय पहुंच वाले गुरुओं की शरण लेते हैं । आम लोगों की इस प्रवृति ने समाज के हर क्षेत्र में दलाली को प्रोत्साहन दिया है। छल कपट से स्वयं को शक्तिशाली प्रमाणित करने वाले लोग समाज में सम्मान पा रहे हैं फिर यह कहना कि जमाना खराब हो गया है-बेकार का प्रलाप है। जिसे धन या सम्मान पाना है वह ‘बदनाम हुए तो क्या नाम तो है’ का नारा लगाते हुए ऐसे कामों में लग जाता है जो दो नंबर का होता है-जिसमें उसे दलाली मिलती है। लोकनिंदा का भय तो कदाचारी लोगों में कतई नहीं है। अब तो लोकनिंदा की कोई परवाह नहीं करता।

हम इसके लिये किसी एक व्यक्ति या समाज को उत्तरायी ठहरायें तो आत्ममंथन की प्रक्रिया से भागने जैसा होगा। हम लोग कहीं न कहीं अपनी निष्क्रियता से ऐसे दुष्ट लोगों को प्रोत्साहन दे रहे हैं जो विश्वसनीय और भरोसेमंद दिखते हैं पर होते नहीं हैं। समाज सेवा और जन कल्याण के नाम भ्रष्टाचार करने वालों की हम उपेक्षा करने की बजाय उनकी उपलब्धियों पर उनको बधाई देते हैं। उनके यहा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेकर उनको अनुग्रहीत करते हैं। किसी को उसके कटु सत्यों का बयान करने का साहस नहीं होता। अगर हम चाहते हैं कि समाज शुरु रहे तो पहले हमें अपने अंदर शुद्धता का भाव लाना होगा जिसके लिय यह जरूरी है कि सज्जन लोगों से संपर्क करें और दुष्टों के प्रति उपेक्षा का भाव प्रदर्शित करें।
.................................

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

संगीता पुरी said...

आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels